Correspondent: GT Express | 09.07.2025 | Ghar Tak Express |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अफ्रीका की धरती पर एक नई शुरुआत देखने को मिली जब बुधवार को उन्हें नामीबिया की राजधानी विंडहोक में भव्य औपचारिक स्वागत प्रदान किया गया। यह यात्रा उनकी पांच देशों की बहुप्रतीक्षित यात्रा का अंतिम पड़ाव है। हवाई अड्डे पर पारंपरिक नृत्य, स्थानीय संगीत और 21 तोपों की सलामी के साथ प्रधानमंत्री का स्वागत किया गया, जिसने इस दौरे को ऐतिहासिक बना दिया।
विंडहोक में राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने स्वयं प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। दोनों नेताओं की मुलाकात में विशेष गर्मजोशी और आपसी सम्मान देखने को मिला। होसे कुटाको अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नामीबिया की विदेश मंत्री सेल्मा अशिपाला-मुसावी ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया, जिसके बाद स्थानीय कलाकारों ने ढोल, नृत्य और गीतों के साथ एक रंगारंग स्वागत समारोह प्रस्तुत किया। इस बीच प्रधानमंत्री मोदी ने खुद नामीबियाई पारंपरिक ढोल बजाया—जो भारत और अफ्रीका की संस्कृति के मधुर संगम का प्रतीक बन गया।
इस यात्रा के एक ऐतिहासिक पल के रूप में प्रधानमंत्री मोदी नामीबियाई संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री नामीबियाई सांसदों को प्रत्यक्ष रूप से संबोधित करेंगे। यह भारत-नामीबिया संबंधों को लोकतांत्रिक मूल्यों और रणनीतिक दृष्टि के स्तर पर मजबूती प्रदान करेगा।
पीएम मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर विंडहोक पहुंचने के तुरंत बाद लिखा, “कुछ देर पहले विंडहोक पहुंचा। नामीबिया एक मूल्यवान और विश्वसनीय अफ्रीकी साझेदार है, जिसके साथ हम द्विपक्षीय सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं।” इस पोस्ट को लाखों लोगों ने पसंद किया, और यह स्पष्ट संकेत देता है कि अफ्रीका के साथ भारत के रिश्ते अब केवल औपचारिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और रणनीतिक भी हो चुके हैं।
भारत और नामीबिया के रिश्ते केवल आधुनिक व्यापार और कूटनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका आधार ऐतिहासिक और नैतिक समर्थन पर टिका है। भारत उन शुरुआती देशों में शामिल था, जिन्होंने नामीबिया की स्वतंत्रता से पहले ही उसे वैश्विक मंच पर समर्थन दिया था। 1946 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने नामीबिया की आजादी का मुद्दा उठाया था, जो आज दोनों देशों के बीच गहरी मित्रता का प्रमाण है।
नामीबिया खनिज संसाधनों से समृद्ध देश है। भारत विशेष रूप से उसके यूरेनियम, लिथियम, कोबाल्ट, टैंटलम, ग्रेफाइट और तांबे जैसे संसाधनों में रुचि रखता है। इनका उपयोग भारत के ऊर्जा, रक्षा, और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर होता है। पीएम मोदी की इस यात्रा से इन क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखला स्थायित्व और दीर्घकालिक समझौतों की उम्मीद की जा रही है।
भारत की फार्मा कंपनियाँ नामीबिया में किफायती दवाओं और टीकों की आपूर्ति के लिए तैयार हैं। जनऔषधि, आयुर्वेदिक उत्पाद और पारंपरिक चिकित्सा को लेकर दोनों देशों के बीच विस्तृत चर्चा हो रही है। इससे नामीबिया की स्वास्थ्य प्रणाली को सुदृढ़ता मिलेगी और भारत के फार्मा निर्यात को नया बाज़ार।
नामिबिया की सरकार भारतीय कृषि विशेषज्ञता से लाभ उठाने की इच्छुक है। सूखा-प्रतिरोधी बीज, ड्रिप सिंचाई, और आधुनिक मशीनरी जैसे विषयों पर सहयोग की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। भारत के पास विश्व स्तरीय कृषि अनुसंधान संस्थान हैं जो अफ्रीकी किसानों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता दे सकते हैं।
इस यात्रा का एक बड़ा तकनीकी परिणाम यह है कि भारत के NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) और नामीबिया के केंद्रीय बैंक के बीच समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत नामीबिया में भारत जैसी UPI आधारित भुगतान प्रणाली लागू की जाएगी, जिससे व्यापार और वित्तीय समावेशन को नई दिशा मिलेगी।
भारत और नामीबिया के बीच सहयोग केवल व्यापार या खनिज तक सीमित नहीं है। हाल ही में भारत ने नामीबिया से कुछ चीतों को लाकर कुनो राष्ट्रीय उद्यान में पुनर्स्थापित किया था। यह जैव विविधता के संरक्षण और पशु पुनरुत्थान का वैश्विक उदाहरण बन चुका है। अब यही संबंध डिजिटल प्रौद्योगिकी, अर्धचालक (चिप्स), और स्टार्टअप सहयोग की दिशा में भी अग्रसर हो रहा है।
पीएम मोदी द्वारा नामीबियाई संसद को संबोधित करना न केवल औपचारिकता है, बल्कि यह लोकतंत्र के दो मजबूत स्तंभों—भारत और नामीबिया—के बीच वैचारिक सामंजस्य को दर्शाता है। यह संबोधन क्षेत्रीय स्थिरता, वैश्विक दक्षिण के नेतृत्व और लोकतांत्रिक सहयोग के संदर्भ में ऐतिहासिक माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह एक दिवसीय यात्रा भले ही संक्षिप्त रही हो, लेकिन इसके प्रभाव दूरगामी हैं। अफ्रीकी महाद्वीप में भारत की भूमिका अब केवल एक कारोबारी भागीदार की नहीं, बल्कि एक रणनीतिक, सांस्कृतिक और तकनीकी सहयोगी की बनती जा रही है।
यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि भारत अब “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना को व्यवहारिक रूप से अफ्रीकी धरती पर साकार कर रहा है।
भारत और नामीबिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार और रणनीतिक साझेदारी के कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें परस्पर पूरकता और दीर्घकालिक सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया यात्रा के दौरान जिन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया, वे भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका और नामीबिया की आर्थिक प्रगति के साझा दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग दोनों देशों के लिए रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। नामीबिया, हाल के वर्षों में हाइड्रोकार्बन के नये स्रोतों की खोज में सक्रिय हुआ है और भारत इस खोज में साझेदार बनकर कच्चे तेल और गैस की आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करना चाहता है। इसके साथ ही भारत और नामीबिया नवीकरणीय ऊर्जा में भी गहरे सहयोग की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जिसमें सौर ऊर्जा संयंत्रों, विंड फार्म और लिथियम-आधारित बैटरियों के संयुक्त उत्पादन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। भारत, जो हरित ऊर्जा क्रांति की ओर अग्रसर है, नामीबिया के विशाल भूक्षेत्र और धूप-संपन्न जलवायु का लाभ लेकर अफ्रीका में हरित ऊर्जा केंद्र स्थापित कर सकता है।
भारत की फार्मास्यूटिकल्स और पारंपरिक चिकित्सा में विशेषज्ञता, नामीबिया की सार्वजनिक स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने में सहायक हो सकती है। जनऔषधि योजना के माध्यम से किफायती दवाओं की आपूर्ति, आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा के प्रसार, तथा टीकाकरण कार्यक्रमों में सहयोग के नए रास्ते खुल रहे हैं। भारत की कोविड-19 वैक्सीन उत्पादन क्षमता पहले ही वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुकी है, और अब इन अनुभवों को नामीबिया जैसे अफ्रीकी देशों के साथ साझा किया जा सकता है।
भारत और नामीबिया, दोनों ही कृषि-आधारित समाज हैं। भारत की स्मार्ट एग्रीकल्चर तकनीकें—जैसे ड्रिप इरिगेशन, मौसम आधारित कृषि सलाह, और बीज विकास—नामीबिया के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती हैं। इसके अलावा, जैविक खेती को बढ़ावा देने और कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और निर्यात के क्षेत्र में संयुक्त उद्यमों की संभावना जताई जा रही है। यह सहयोग नामीबिया के ग्रामीण विकास को गति देने के साथ-साथ भारत के कृषि निर्यात को भी नई मंजिल देगा।
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का एक अहम पहलू रहा भारत के NPCI और नामीबिया के केंद्रीय बैंक के बीच हुआ समझौता। इस साझेदारी के तहत भारत की UPI (Unified Payments Interface) तकनीक को नामीबिया में लागू किया जाएगा, जिससे डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा और छोटे व्यवसायियों तथा उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा। DPI (Digital Public Infrastructure) जैसे आधार, डिजिलॉकर और जनधन मॉडल के सिद्धांत भी नामीबिया की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकते हैं।
नामीबिया खनिज संपदा से भरपूर देश है और भारत अपनी इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा और हरित ऊर्जा जरूरतों के लिए इन संसाधनों पर निर्भर होता जा रहा है। यूरेनियम भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए आवश्यक है, जबकि लिथियम, कोबाल्ट, ग्रेफाइट और टैंटलम बैटरियों और सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए अनिवार्य माने जाते हैं। इस दिशा में साझेदारी से भारत को आपूर्ति शृंखला सुरक्षा मिलेगी और नामीबिया को उच्च मूल्य वर्धन की प्रक्रिया में भागीदारी का अवसर मिलेगा।
भारत वर्षों से अफ्रीकी छात्रों को आईटी, इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित करता रहा है। अब इस यात्रा के बाद यह संबंध और गहरा होने की उम्मीद है। भारत ने नामीबियाई छात्रों के लिए IIT, AIIMS और IIM जैसे संस्थानों में छात्रवृत्ति देने की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त, डिजिटल शिक्षा मंचों के माध्यम से दूरस्थ शिक्षा की सुविधा और प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना का भी प्रस्ताव है, जिससे नामीबिया के युवाओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलेगा।
Source : DD News
भारत-नामीबिया संबंधों पर आधारित FAQs
1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नामीबिया यात्रा कब हुई?
यह यात्रा 9 जुलाई 2025 को हुई। यह उनकी पाँच देशों की बहुप्रतीक्षित अफ्रीकी यात्रा का अंतिम चरण था।
2. पीएम मोदी का नामीबिया में स्वागत किस प्रकार किया गया?
विंडहोक हवाई अड्डे पर पारंपरिक नृत्य, स्थानीय संगीत, रंगारंग समारोह और 21 तोपों की सलामी के साथ प्रधानमंत्री का स्वागत हुआ।
3. इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
इस यात्रा का उद्देश्य भारत-नामीबिया संबंधों को रणनीतिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और आर्थिक स्तर पर मज़बूत करना था।
4. भारत और नामीबिया के बीच कौन-कौन से क्षेत्र में सहयोग हुआ?
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खनिज और ऊर्जा सहयोग (यूरेनियम, लिथियम आदि)
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डिजिटल भुगतान प्रणाली (UPI)
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स्वास्थ्य और फार्मास्यूटिकल्स
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कृषि तकनीक और प्रशिक्षण
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शिक्षा और छात्रवृत्तियाँ
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जैव विविधता संरक्षण (चीतों का पुनर्वास)
5. नामीबियाई संसद को संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री कौन हैं?
नरेंद्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने जिन्होंने नामीबियाई संसद के संयुक्त सत्र को प्रत्यक्ष रूप से संबोधित किया।