गोरखपुर/उत्तर प्रदेश:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में पूर्वांचल की धरती पर विकास की एक नई लकीर खींची गई है — गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे। “गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे में आपका स्वागत है” कहता यह नीला संकेतक बोर्ड, अब केवल एक प्रवेश बिंदु नहीं, बल्कि एक नए युग के विकास और समृद्धि की शुरुआत का प्रतीक बन चुका है।
यह एक्सप्रेसवे पूर्वांचल के लोगों को केवल एक तेज़ रास्ता नहीं देता, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और बौद्धिक विकास की पूरी संरचना लेकर आया है। इसका सबसे बड़ा लाभ मिला है — किसानों को, जो अब अपने भूमि उपयोग, मुआवजे और रोज़गार के नए अवसरों से समृद्ध हो रहे हैं।
एक्सप्रेसवे से पूर्वांचल को मिली विकास की उड़ान
गोरखपुर को आज़मगढ़ और लखनऊ को जोड़ने वाले इस चार लेन (फ्यूचर सिक्स लेन) एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई लगभग 91 किलोमीटर है। यह मार्ग गोरखपुर जिले के जंगल कौड़िया से शुरू होकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के साल्हेपुर (आजमगढ़) जंक्शन तक फैला है।
इसका उद्देश्य सिर्फ यातायात को आसान बनाना नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के पिछड़े इलाकों को मुख्यधारा में लाना है। परियोजना के दौरान बनाए गए सर्विस रोड, रेल ओवरब्रिज, अंडरपास, और इंटरचेंज क्षेत्रों के बीच संपर्क को और अधिक सुलभ बना रहे हैं।
किसानों को मिला पूरा मुआवजा, न्याय और समृद्धि साथ-साथ
इस परियोजना के लिए 1148.77 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया। जिसमें गोरखपुर, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, और संत कबीरनगर जिलों के 172 गांवों के 22029 किसानों की ज़मीन ली गई।
सरकार ने इन किसानों को कुल 2030.29 करोड़ रुपये का पारदर्शी मुआवजा प्रदान किया। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन प्रणाली से संचालित हुई, जिससे किसी भी प्रकार की अनियमितता की संभावना समाप्त हो गई।
किसानों की राय:
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शिवदयाल सिंह (गांव अमवा): “पहले लगता था कि ज़मीन जाएगी तो नुकसान होगा, लेकिन अब लगता है जैसे नया जीवन मिला हो। ट्रैक्टर, बिजली का पंप, और बच्चों के लिए कोचिंग सब इसी पैसे से हो रहा है।”
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श्रीमती कमला देवी (गांव पिपरौली): “सरकार ने हमें समय पर पैसा दिया और हमारे आत्मसम्मान को बनाए रखा।”
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया बनी अन्य राज्यों के लिए उदाहरण
उत्तर प्रदेश सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि पूरी भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया किसान हितैषी, पारदर्शी और संवेदनशील हो। अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे हर किसान की बात सुनें, सही मुआवजा सुनिश्चित करें और कोई भी किसान भटकने न पाए।
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GPS आधारित मापन प्रणाली का उपयोग कर भूमि का सटीक सर्वेक्षण किया गया।
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मुआवजा सीधे किसानों के बैंक खातों में DBT के माध्यम से भेजा गया।
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सुनवाई शिविर लगाए गए जहाँ किसान अपनी समस्या सीधे जिलाधिकारी व परियोजना अधिकारी से साझा कर सके।
युवाओं के लिए बना रोज़गार का नया केंद्र
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे निर्माण के दौरान ही नहीं, बल्कि उसके बाद भी हज़ारों युवाओं को रोज़गार मिला। निर्माण कंपनियों में मिस्त्री, इंजीनियर, सुपरवाइज़र, ड्राइवर, गार्ड, कैटरिंग और साफ़-सफाई कर्मचारियों के रूप में बड़ी संख्या में लोगों को अवसर मिला।
अब जब एक्सप्रेसवे चालू हो चुका है, तो इसके किनारे पेट्रोल पंप, ढाबे, लॉजिस्टिक पार्क, गाड़ी सर्विस सेंटर, और छोटे-मोटे होटल बनने लगे हैं, जिससे स्थानीय युवाओं को दीर्घकालिक रोजगार उपलब्ध हो रहा है।
प्राकृतिक सौंदर्य और आधुनिकता का संगम
एक्सप्रेसवे के किनारे हरित पट्टियाँ, जल संरक्षण प्रणाली और सौर ऊर्जा से चलने वाले स्ट्रीट लाइट्स लगाए गए हैं। साथ ही सड़क सुरक्षा के सभी मानकों का पालन करते हुए CCTV निगरानी, आपातकालीन कॉलिंग सिस्टम और टोल प्लाजा ऑटोमेशन को भी लागू किया गया है।
योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व में विकास की गारंटी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस परियोजना को केवल “सड़क निर्माण” नहीं, बल्कि “विकास क्रांति” कहा है। उनका यह कहना है:
“गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे न केवल गोरखपुर बल्कि पूरे पूर्वांचल के लिए एक नया युग लाएगा। हमने किसानों को उनकी भूमि का पूरा मूल्य देकर विकास की नींव रखी है।”
इस एक्सप्रेसवे के निर्माण ने एक बात को सिद्ध कर दिया है कि उत्तर प्रदेश अब “संभावनाओं का प्रदेश” बन चुका है, जहाँ सरकार और जनता मिलकर भविष्य को संवार रहे हैं।
निष्कर्ष: एक एक्सप्रेसवे, अनेक उपलब्धियां
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के उन प्रयासों का सशक्त उदाहरण है, जहाँ विकास के साथ-साथ जनता की भागीदारी, सम्मान और समृद्धि को प्राथमिकता दी जाती है।
यह सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि किसानों की मुस्कान, युवाओं की रोज़गार की आस और पूर्वांचल के भविष्य की उड़ान है।
📌 मुख्य तथ्य (Quick Points):
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कुल लंबाई: 91 किमी
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भूमि अधिग्रहण: 1148.77 हेक्टेयर
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प्रभावित गांव: 172
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लाभार्थी किसान: 22029
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मुआवजा राशि: ₹2030.29 करोड़
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प्रमुख जिले: गोरखपुर, अंबेडकरनगर, संत कबीरनगर, आजमगढ़
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